गुलिस्तां उजड़ता रहा और मुसलमां भी पिछड़ते गए ,
दोष फिर भी सारा हुक्मरां विपक्ष पर मढ़ते रहे .
वाहियात किस्म के जुमले सेक्युलर जिल्द चढ़ते रहे ,
यारों वोट के लिए वो इबादतगाह तक पीछा करते रहे .
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