लोकतंत्र
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‘आओ, शिक्षा रोजगार और सुरक्षा की ओर चलें
नए भारत में सबकी उन्नति की नीति गढ़ें…’
उफ़! ये कैसी बचकानी बातें हैं
जरूर साम्प्रदायिकता फैलाने आई ताकतें हैं .
‘आओ, सब एक हैं ऐसी सद्भावना बढ़ाएं
सामाजिक तानेबाने को उदार बनाएं…’
आह, यह जरूर कोई नई चाल है
तुम्हारी जाति के विरुद्ध एक खतरनाक ख्याल है !
‘चलो बिजली पानी और सड़क बढ़ाएं
जनजीवन में सुविधा हो ऐसी सरकार बनाएं…’
रोकिये इन्हें इमरान मसूद, कोबरापोस्ट और इमाम साहिब !
कह दीजिये- ये सब उल्टी बातें इस चुनाव में नहीं मुनासिब !
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