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क्या करें, यह उजाड़ एक टीस बन कर उतर गया है अंदर
देखी नहीं जाती यह बदहाली फिर भी मजबूर हैं हम अभी
ऐ वक्त तू दिखा ले, जो भी दिखाना हो तुझे
हम भी जिद्द पर हैं, लड़ाई चलेगी लंबी इस बार, हमारी जीत तक … ।
जो तुम सोचते हो कि यह देश है ठंडा अब न जागेगी चिंगारी कभी
जो तुम समझते हो कि यहाँ अब न रहे लड़ने वाले कोई
तो हम बता दें तुम्हें कि हमारी अच्छाई हमारी कमजोरी नहीं
लिए शोले हम घूमते हैं अब भी, आग जलेगी तुम्हें खाक में मिलाने तक … ।
ऐ वतन को लूटने वालों तुम खाते हमारा ही हो
ऐ वतन को तोड़ने वालों तुम्हारी साँसें हम चलने दें, तभी तक हैं
पर तुम्हें लगने लगा है कि तुम बन शासक हमें नेस्तनाबूत कर सकते हो
खड़े हो रहे हैं देखो नौजवां हमारे, लड़ने को, तुम्हारी सत्ता हटाने तक… ।
क्या सोच तुम आए थे कि हिन्द का खून पानी-पानी है
क्या तुम ने मान लिया कि अब यहाँ इस देश में न रहा कोई मानी है
बहुत कर ली तुमने मनमानी ऐ वतन के दुश्मन, बहुत वक्त गुज़र गया
हिन्द ने ठानी है इस बार करेंगे घमासान, तुम्हारा वजूद मिटाने तक … ।
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